दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लाजपत नगर के जल विहार में महल ऑफ पठान (ऐतिहासिक इमारत) के एक हिस्से को ढहाकर अपना सरकारी बंगला बनाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सीईओ उदित प्रकाश (आईएएस) को सतर्कता विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वर्तमान में मिजोरम में तैनात इन अधिकारी को दो सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। आरोप है कि इन्होंने नियमों के खिलाफ जाकर जल बोर्ड का सीईओ रहते सरकारी बंगला बनाने की मंजूरी दी। ट्रांसफर के बाद भी बंगला खाली नहीं किया गया। सतर्कता विभाग की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, डीटीसी बस डिपो जल विहार शिव मंदिर मार्ग लाजपत नगर में दिल्ली जल बोर्ड ने एक बंगला बनाया है।
इसे बनाते समय वहां महल ऑफ पठान के दो हिस्से थे। उसमें एक हिस्से को ढहा दिया गया, जबकि दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग ने 11 दिसंबर 2020 में महल ऑफ पठान को ऐतिहासिक इमारत के रूप में संरक्षित करने के लिए चिह्नित किया था। जमीन के उस हिस्से को 19 जनवरी 2021 को जल बोर्ड को पत्र लिखकर देने के लिए भी कहा। इसके बाद भी वहां जल बोर्ड के सीईओ रहते हुए आईएएस उदित प्रकाश ने बंगला बनाने की मंजूरी दी। यह काम इतना जल्दी किया गया कि मई 2022 में वह खुद इस बंगले में बतौर जल बोर्ड सीईओ रहने लगे। आज भी बंगला उनके कब्जे में है, जबकि उनका स्थानांतरण मिजोरम हो चुका है।
जल बोर्ड की तरफ से नोटिस जारी होने के बाद भी बंगला खाली नहीं किया है। पुरातत्व विभाग, जल बोर्ड व सतर्कता विभाग ने शिकायत पर 9 जनवरी 2023 को उसका दौरा किया। पुरातत्व विभाग की ओर से लिए फोटोग्राफ से पता चला कि वहां पर महल ऑफ पठान की दो संरचनाएं थी, जिसमें से एक को तोड़ दिया गया।
नियमों से ज्यादा बड़ा आवास लिया
नोटिस में कहा गया है कि जल बोर्ड के सीईओ रहते हुए उदित प्रकाश की जो रैंक थी उसके हिसाब से उन्हें टाइप-5 का सरकारी आवास मिलना चाहिए। इसका साइज 106 वर्गमीटर होता है। यदि नौकर का कक्ष है तो वह 144 वर्गमीटर का हो सकता है, लेकिन वह 670 वर्गमीटर से ज्यादा हिस्से पर बने बंगले में रह रहे थे। जल विहार स्थित पूरी जमीन 5500 वर्गमीटर की है, जिसमें एक हिस्से पर महल ऑफ पठान है।