देहरादून: सोशल मीडिया पर मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद धामी सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल एक बार फिर से चर्चाओं में हैं. ऐसा नहीं है कि प्रेमचंद अग्रवाल के विवादों या चर्चाओं में आने का ये पहला मामला है. धामी सरकार का ये मंत्री हमेशा ही विवादों के साथ ही विपक्ष के निशाने रहता है. चाहे वो स्पीकर रहते हुए बेटे को नियम विरुद्ध नियुक्ति देने का मामला हो या फिर विधानसभा बैकडोर भर्ती मामला, सभी मामलों में प्रेमचंद अग्रवाल खूब घिरे.
सड़क पर लड़ते दिखे मंत्री जी
बीते मंगलवार कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. जिसमें प्रेमचंद अग्रवाल और उनका सुरक्षाकर्मी एक व्यक्ति से मारपीट करते दिख रहे थे. बताया जा रहा है कि किसी बात को लेकर ये झगड़ा शुरू हुआ. इसके बाद मामला इतना बढ़ा कि प्रेमचंद अग्रवाल और उनके सुरक्षाकर्मियों ने गाड़ी से उतर कर मारपीट शुरू कर दी. मामले में प्रेमचंद अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा युवक ने उन पर हमला किया. उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया. जिसके बाद ऐसे हालात बने. मारपीट की इस घटना के बाद प्रदेश की सियासत का पारा भी हाई हो गया. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने प्रेमचंद अग्रवाल को खूब घेरा. वहीं, सीएम धामी ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए प्रेमचंद अग्रवाल को तलब किया.
उत्तराखण्ड सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर प्रेम चंद अग्रवाल के साथ हाथपाई ! pic.twitter.com/jSPXIjT22I
— Tariq Ansari (@tariqansari007) May 2, 2023
इस मामले में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है. जिस पर पुलिस मामले की जांच कर रही है. वहीं, दूसरी ओर पीड़ित ने भी मामले में क्रॉस एफआईआर करवाई है. उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले में बीजेपी और सरकार की किरकिरी होता देख बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई करने के निर्देश दिये है और द्वेषपूर्वक कार्रवाई ना हो इसकी ताकीद की है.
विधानसभा भर्ती मामला विवाद
इससे पहले प्रेमचंद अग्रवाल साल 2022 में चर्चाओं में आये. तब मामला विधानसभा बैकडोर भर्ती से जुड़ा था. यह मामला तब का है जब वह विधानसभा अध्यक्ष थे. तब यह सवाल खड़े हो रहे थे कि आखिरकार कैसे अपने चहेतों और नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में 70 से अधिक भर्तियां की गईं. इस पूरे मामले पर जब सफाई देने प्रेमचंद अग्रवाल मीडिया के सामने आए तो मीडिया से भी उनकी खूब नोकझोंक हुई. उनकी यह नोकझोंक भी बीजेपी के लिए सिरदर्द बन गई थी. पूरे देश ने देखा कि कैसे कैबिनेट मंत्री पत्रकारों के सामने अपनी बात रख रहे थे. इतना ही नहीं मामला और तब संगीन हो गया जब प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में हुई भर्ती और उससे पहले हुई भर्तियों को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने एक झटके में खारिज कर दिया. यह प्रेमचंद अग्रवाल के लिए किसी झटके से कम नहीं था. हालांकि, बाद में धीरे-धीरे यह मामला शांत होता गया, फिलहाल बाहर किए गए कर्मचारी कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं.
विदेश यात्रा पर विवाद
इससे पहले प्रेमचंद अग्रवाल शहरी विकास मंत्री के नाते बीते कुछ महीने पहले जर्मनी की यात्रा पर गये थे. उनकी ये यात्रा भी विवादों में फंसी रही. कुछ अधिकारियों और अपनी पत्नी के साथ जर्मनी गए प्रेमचंद अग्रवाल के आने जाने की व्यवस्था जर्मनी की एक कंपनी ने की थी, वो इसलिए क्योंकि यह कंपनी हरिद्वार और देहरादून जैसे शहरों में नगर पालिका और नगर निगम के लिए काम कर रही थी. उस वक्त प्रश्न उठ रहे थे कि जर्मनी की संस्था जीआइजेड के माध्यम से यात्रा का खर्च उठाने के एवज में क्या नगर निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में उसका सहयोग लेकर उपकृत किया जाएगा? हालांकि ये मामला भी जल्द से जल्द ठंडे बस्ते में चला गया.
बेटे की नौकरी बनी चर्चा का विषय
इसके साथ ही एक बार प्रेमचंद अग्रवाल तब चर्चाओं में आए जब वह अपने विभाग की समीक्षा बैठक ले रहे थे. उसी विभाग में उनकी पुत्री कार्यरत थी, जिसकी कुर्सी उन्होंने अपने बगल में लगवा दी. अंदर खाने इसका काफी विरोध हुआ. सामने बैठे अधिकारी सीनियर अधिकारी थे, उनकी पुत्री एक कनिष्ठ अधिकारी है. ऐसे में सवाल उठा कि प्रेमचंद अग्रवाल अपने लोगों या परिवार के सदस्यों को जरूरत से ज्यादा सरकारी बैठकों में तवज्जो दे रहे हैं. ऐसा ही एक और मामला है जहां नियमों के खिलाफ जाकर उनके बेटे को नियुक्ति दी गई. इस विवाद के बाद प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा उनका बेटा लायक है, इसीलिए उसे इस पद पर बैठाया गया है. लेकिन बाद में विवाद बढ़ता देख उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा. उनके बेटे को वह सीट छोड़नी पड़ी.
जमीनों के मामले में चर्चाओं में प्रेमचंद
भर्ती मामले की जांच और विरोध, जब पूरे प्रदेश में चल रहा था उसी वक्त प्रेमचंद्र अग्रवाल पर एक व्यक्ति ने ऋषिकेश में संपत्तियों को खुर्दबुर्द और अवैध संपत्तियों को खरीदने का गंभीर आरोप कागजातों के साथ लगाया. इस मामले की भी अभी भी जांच चल रही है. ऐसे में सवाल हमेशा से यही उठते रहे हैं कि विवादों में रहने वाले प्रेमचंद अग्रवाल पर आखिरकार पार्टी और सरकार खामोश क्यों रहती है? क्यों लगातार विवाद में रहने वाले प्रेमचंद्र वालों को वार्निंग देकर छोड़ दिया जाता है? मौजूदा समय में हुई एक के बाद एक घटनाओं को देखकर यही लगता है कि इस बार सरकार सख्ती के मूड में है. यही कारण है कि पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें इस पूरे मामले के बाद तलब किया है.
कांग्रेस बोली तलब करना केवल ‘दिखावा‘
तमाम विवादों को गिनाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुजाता पॉल ने कहा यह सारे के सारे मामले पब्लिक डोमेन में हैं. सभी ने खुली आंखों से इनको देखा है. उन्होंने कहा आज तक प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. यह मंत्री जितने बड़े भी कारनामे कर लें लेकिन हर बार मामला शांत हो जाता है. इस बार भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तलब तो किया है लेकिन इस पर भी होना कुछ नहीं है. उन्होंने कहा तलब करना केवल ‘दिखावा’ है.