और बड़ी हो जाएगी राजधानी ! देहरादून में मिलेंगी टिहरी जिले की दो तहसील, धनौल्टी और नैनबाग में रायशुमारी शुरू

खबर उत्तराखंड

देहरादून: टिहरी जिला मुख्यालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर धनौल्टी और नैनबाग तहसील को मसूरी तहसील में जोड़ने की कवायद तेज कर दी गई है. टिहरी जिला प्रशासन ने इसके लिए एक पत्र जारी किया है. जिसमें उप जिलाधिकारी धनौल्टी को इस संबंध में क्षेत्रवासियों की रायशुमारी के आदेश दिये गये हैं. टिहरी जिले का वह हिस्सा जो कि कभी अंग्रेजों के अधीन भी नहीं रहा और हमेशा देहरादून और टिहरी की सरहद पर मौजूद इस इलाके ने अपनी पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहरों को समेट के रखा है. साथ ही यह वह हिस्सा है जो कि टिहरी राजशाही के जमाने से टिहरी से जुड़ा हुआ था लेकिन, आज क्षेत्रवासियों की समस्या को देखते हुए इसे देहरादून जिले के साथ जोड़ने की कवायद तेज कर दी गई है.

दरअसल, टिहरी जिले की धनौल्टी विधानसभा सीट के तहत आने वाली 2 तहसीलें धनौल्टी और नैनबाग के कुछ हिस्सों को जो कि देहरादून की मसूरी विधानसभा सीट से बिल्कुल सटी हुई हैं, उन्हें क्षेत्रवासियों की मांग के अनुरूप देहरादून जिले में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. देहरादून और टिहरी जिला प्रशासन ने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिये हैं.

टिहरी जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए एक पत्र में उप जिलाधिकारी धनौल्टी को इस संबंध में क्षेत्रवासियों की रायशुमारी लेने का आदेश दिया गया है. दरअसल, धनौल्टी और नैनबाग तहसील में कैंपटी, कांडा, किमोई, कोल्टी, मवाना सहित दर्जनों गांव टिहरी जिला मुख्यालय से बेहद दूर हैं. बजाय इसके इन क्षेत्र के लोगों के लिए मसूरी और देहरादून बेहद नजदीक पड़ता है. लिहाजा, मुख्यमंत्री के दौरे के समय क्षेत्रवासियों की मांग के अनुरूप मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र की समस्या को दूर करने के लिए इस क्षेत्र को देहरादून जिले से जोड़ने की घोषणा की थी. जिस के क्रम में अब शासन प्रशासन द्वारा यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

इस संबंध में क्षेत्रवासियों द्वारा लगातार बैठकें की जा रही हैं. टिहरी जिले से देहरादून जिले में जाने पर क्षेत्र के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर किस तरह का असर होगा, उसको लेकर के विचार विमर्श किया जा रहा है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल इस बात का है कि अभी इस पूरे इलाके को ओबीसी स्पेशल कैटेगरी दी जाती है, जो कि जौनपुरी समुदाय के लिए मान्य है. वहीं, टिहरी जिले से हटने के बाद देहरादून जिले में सम्मिलित होने पर जहां एक तरफ भौगोलिक पहलू में बदलाव आएगा तो क्या ओबीसी को लेकर के भी कुछ बदलाव आएगा, यह क्षेत्रवासियों के मन में सबसे बड़ा सवाल है.

 

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