नई दिल्ली : एशिया की सबसे बड़ी जेल मानी जाती है तिहाड़ जेल. वैसे तो जेल का नाम आते ही ये शब्द निकलते है कि भगवान किसी को ऐसे दिन न दिखाए की जेल जाना पड़े. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो चाहते है कि उन्हें जेल का खाना नसीब हो. जेल का पानी पीने को मिल जाए. आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कौन लोग हैं जो जेल जाना चाहते हैं. लेकिन यह सच है. तिहाड़ जेल की रोटी-पानी के लिए भी लोग हर पैंतरे आजमाते हैं. सुनील गुप्ता (रिटायर्ड कानूनी सलाहकार, तिहाड़ जेल ) ने बताया कि लोगों में तरह-तरह का अंधविश्वास भरा होता है. इससे उन्हें लगता है कि अगर जेल का खाना खा लें तो जिंदगी से कष्ट दूर हो जाते हैं. जेल की मिट्टी से बना ताबीज़ से बीमारियां दूर हो जाती है. यहां तक कि जेल के फांसी घर के तख़्ते की लकड़ी मिल जाए तो वो बेहद शुभ होती है. इसलिए बड़ी संख्या में लोग तिहाड़ जेल कर अंदर बने तिहाड़ हाट और एम्पोरिया से खाने-पीने का सामान लेने पहुंचते हैं.
लोग जानबूझ कर आना चाहते है तिहाड़ जेल
सुनील गुप्ता ने बताया कि अंधविश्वास इस कदर है कि गर्भवती महिलाएं अपनी डिलीवरी यहां कराना चाहती हैं. बड़े अधिकारी भी आते हैं कि हमे यहां की रोटी खानी है. कई लोगों का मानना है कि गर्भवती महिलाएं अगर तिहाड़ जेल में रहती हैं तो उनको पुत्र की प्राप्ति होगी.
तिहाड़ आने के लिए जबरन अपराध करते हैं लोग
सुनील गुप्ता ने यह भी बताया कि साल 2000 के आसपास अचानक गर्भवती महिला कैदियों की संख्या बढ़ने लगी, जो जेल पहुचने के बाद बच्चों को जन्म दे रही थीं. जांच में पता चला कि बेटा पाने के अंधविश्वास के चलते छोटे-छोटे अपराधों में, जिनमें पुलिस स्टेशन से ही जमानत हो सकती है, वे जमानत न लेकर जेल आ रही थीं.
Source : “ABP न्यूज़”