खुद को BJP अध्यक्ष का OSD बताकर की ठगी ?  पुलिस ने 2 आरोपियों को किया गिरफ्तार, बनकर ठेकेदार…!

क्राइम राज्यों से खबर

नई दिल्ली: मध्य जिला साइबर सेल ने खुद को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी बताकर ठगी करने वाले दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं, अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से करीब एक करोड़ की ठगी की है। इनके कब्जे से पुलिस ने एक लैपटॉप, तीन मोबाइल फोन, चार सिम, चार बैंक खाते और राष्ट्रीय अध्यक्ष के ओएसडी के नाम के 55 फर्जी विजिटिंग कार्ड भी बरामद किए गए हैं।

निरीक्षक केपी सिंह के नेतृत्व में टीम को मिली कामयाबी

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गांव घरोली, मयूर विहार फेस तीन निवासी प्रवीण कुमार (19) और गोमती नगर लखनऊ उ.प्र निवासी पीयूष कुमार श्रीवास्तव (34) के रूप में हुई है। प्रवीण 12वीं तक पढ़ा लिखा है। पीयूष एमबीए कर चुका है और फर्जी विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल कर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी बताता था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 9 मई को भाजपा मुख्यालय के पदाधिकारी की ओर से साइबर सेल में ठगी की शिकायत की गई। जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ लोग खुद को भाजपा पदाधिकारी बताकर विभिन्न राज्यों में पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों आदि से ठगी और धोखाधड़ी कर रहे हैं। आरोपी खुद को केंद्रीय कार्यालय से जुड़ा भाजपा पदाधिकारी बता रहे हैं। साथ ही आरोप लगाया गया कि जालसाज अपने मकसद में कुछ हद तक सफल भी रहे हैं। शिकायत में आरोपियों के बारे में कुछ साक्ष्य भी पुलिस को सौंपे गए। शिकायत पर प्रारंभिक जांच पड़ताल करने के बाद साइबर सेल ने मामला दर्ज कर लिया। निरीक्षक केपी सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित कर पुलिस ने जांच शुरू की।

पुलिस ने ठेकेदार बनकर आरोपी को जाल में फंसाया

लिस ने पीड़ितों से मिले आरोपियों के फोन नंबर के जरिए उनकी पहचान करने में जुट गई। पुलिस ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं से सीडीआर और नंबर के उपभोक्ता की जानकारी हासिल की। जिसके जरिए पता चला कि एक आरोपी प्रवीण कुमार घरौली इलाके में रहता है लेकिन उसका वास्तविक पता की जानकारी पुलिस को नहीं मिली। उसके बाद पुलिस ने आरोपी से मिलने के लिए एक योजना तैयार की। एक पुलिसकर्मी को ठेकेदार बनाकर उससे संपर्क करवाया गया। आरोपी से ठेका दिलवाने में मदद करने के लिए कहा गया। आरोपी मयूर विहार इलाके में ठेकेदार बनकर फोन करने वाले से मिलने के लिए राजी हो गया। बताए समय पर पुलिस सादे कपडों में उस जगह पर घेराबंदी कर दी। आरोपी प्रवीण के वहां पहुंचते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

ठगी की रकम अपने लाइफस्टाइल और सट्टे पर कर रहे थे खर्च

प्रवीण ने पूछताछ में बताया कि वह इंटरनेट से नेताओं और पार्टी के पदाधिकारियों का विवरण लेता था। उसके बाद वह उत्तर पूर्वी राज्यों के कई नेताओं के संपर्क में आया। खुद को केंद्रीय कार्यालय में पदाधिकारी बताकर उनके साथ घनिष्ठता कर ली। वह उनसे पार्टी फंड के नाम पर और कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के लिए उनकी सिफारिश करने के नाम पर उनसे ठगी करता था। इसके एवज में उनसे होटल बुकिंग, हवाई यात्रा के टिकट और अन्य खर्चों के पैसे लेता था। इन नेताओं को प्रभावित करने के लिए वह पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ जाने-माने नेताओं के साथ अपनी फोटो का इस्तेमाल करता था। इस तरह से आरोपी ने कई नेताओं, अधिकारी और ठेकेदार से लाखों रुपये ठग लिए। उसने बताया कि ठगी के पैसे को वह सट्टेबाजी और विलासितापूर्ण जीवन शैली में पैसा खर्च करते थे।

दूसरे आरोपी को पुलिस ने ऐसे पकड़ा

पुलिस ने एक अन्य मोबाइल नंबर के जरिए दूसरे जालसाज को गिरफ्तार किया। दूसरा मोबाइल नंबर लखनऊ निवासी पीयूष कुमार श्रीवास्तव का था। पुलिस टीम लखनऊ जाकर पीयूष के बारे में स्थानीय स्तर पर पूछताछ की। पूरी जानकारी इकट्ठा की। पुलिस टीम ने उससे व्यवसायी बनकर संपर्क किया। जब आरोपी पुलिस टीम से मिलने आया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके कब्जे से वह मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया। जिसका इस्तेमाल कर वह खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी बताकर लोगों को धोखा दे रहा था। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के ओएसडी के नाम से विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था। जांच में पता चला कि उसने एक एनजीओ (भारतीय इनक्लूसिव डेवलपमेंट फाउंडेशन) को पंजीकृत किया हुआ है। वह निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व का लाभ लेने के लिए गेल, सेल, ओएनजीसी, बीएचईएल, आईआरसीटीसी जैसी सरकारी कंपनियों के विभिन्न उच्च अधिकारियों को व्हाट्स एप के माध्यम से फर्जी विजिटिंग कार्ड की कॉपी भेजता था। इसके जरिए वह गेल से 45 लाख रुपये ले चुका था। आरोपी इसी तरीके का इस्तेमाल कर और पैसा कमाना चाहता था।

साभार – अमर उजाला

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