देहरादून: इसके साथ ही यह भी याद दिलाया गया है कि बदलती तकनीक के बीच पैदा हो रहीं चुनौतियों से पार पाने के लिए भी सभी विभाग तकनीकी रूप से मजबूत रहें। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू की ओर से सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों को एक आदेश जारी किया गया है। इसमें केंद्र सरकार के पांच जनवरी 2022 के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसके तहत सभी विभागों, उनसे संबंधित संस्थाओं, निगमों की ओर से संचालित आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, एप्लीकेशन और वेबसाइट का वार्षिक आधार पर सिक्योरिटी ऑडिट कराया जाना है। उन्होंने कहा है कि देश दुनिया में आईटी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन, क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि की उपलब्धता के मद्देनजर साइबर हमलों की आशंका भी प्रबल हो गई है।
सभी वेबसाइट और ऐप का सिक्योरिटी ऑडिट करने के निर्देश
विभिन्न विभागों की नागरिक संबंधी सेवाओं का डिजिटलीकरण किया गया है। ऐसे में इन पर काफी मात्रा में डाटा भी एकत्र हो रहे हैं। शासन की ओर से गठित सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) में स्टेट डाटा सेंटर से विभिन्न विभागों की वेबसाइट और एप्लीकेशन होस्ट किए जा रहे हैं। कुछ विभागों ने अपने स्तर से वेबसाइट और एप बनाए हैं। इन पर सबसे ज्यादा साइबर हमलों का खतरा है। मुख्य सचिव डॉ. संधू ने निर्देश दिए हैं कि नियमित अंतराल पर सभी वेबसाइट और एप का सिक्योरिटी ऑडिट कराया जाए ताकि भविष्य में साइबर हमलों से बचा जा सके।
सिक्योरिटी ऑडिट के तहत होता है यह टेस्ट
आईटी विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी वेबसाइट की सिक्योरिटी ऑडिट के लिए एल्फा, बीटा और गामा टेस्ट होते हैं। इनके जरिये उस वेबसाइट के सॉफ्टवेयर की सुरक्षा से लेकर विभिन्न पैमानों पर परखा जाता है। यह देखा जाता है कि उस वेबसाइट में कहां लूपहॉल हो सकते हैं। कहां साइबर अटैक होने से डाटा चोरी हो सकता है। तीनों टेस्ट में पास होने के बाद सिक्योरिटी ऑडिट को क्लियरेंस मिलती है।
हमला हुआ तो ये हो सकता है नुकसान
अगर कभी साइबर अटैक हुआ तो उन विभागों के पास जनता का जो भी डाटा है, वह चोरी हो सकता है। साइबर अपराधी उस डाटा का गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं। निजी जानकारियां सार्वजनिक हो सकती हैं।