नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है. हालांकि कई विपक्षी दलों ने इस समारोह का बहिष्कार किया. इन दलों की मांग थी कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाए. अब इन विपक्षी दलों की ओर से प्रतिक्रिया आनी भी शुरू हो गई है. किसी ने इस पार्लियामेंट को ताबूत कहा तो किसी दल ने इसे देश का कलंक बताया है. इन बयानों पर बीजेपी की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद एक ट्वीट किया गया, जिसको लेकर बीजेपी आरजेडी पर हमलावर है. दरअसल इस ट्वीट में आरजेडी ने नए संसद भवन के साथ एक ताबूत की फोटो शेयर की. उसके साथ लिखा, “ये क्या है?”
ये क्या है? pic.twitter.com/9NF9iSqh4L
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 28, 2023
आरजेडी के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा 2024 में देश की जनता आपको इसी ताबूत में बंद करके गाढ़ देगी और नए लोकतंत्र के मंदिर में आपको आने का मौका भी नहीं देगी. गौरव भाटिया ने लिखा, “आज एक ऐतिहासिक पल है और देश गौरवान्वित है. आप नजरबट्टू हैं और कुछ नहीं. छाती पीटते रहिए. 2024 में देश की जनता आपको इसी ताबूत में बंद करके गाढ़ देगी और नए लोकतंत्र के मंदिर में आपको आने का मौका भी नहीं देगी. चलिए यह भी तय हुआ संसद देश का ताबूत आपका.”
यह आरजेडी की राजनीति के ताबूत में आखिरी कील: शहजाद पूनावाला
वहीं बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला यह आरजेडी की राजनीति के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. पूनावाला ने ट्वीट कर लिखा, “वे इस घिनौने स्तर तक गिर गए हैं. यह आरजेडी की राजनीति के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. भारतीय प्रणाली में त्रिकोण या त्रिभुज का बहुत महत्व है. वैसे ताबूत हेक्सागोनल या 6 भुजाओं वाला बहुभुज है.”
आरजेडी की ओर से आई सफाई
बीजेपी के हमलावर होने के बाद आरजेडी की ओर से इस पर सफाई आई है. आरजेडी नेता शक्ति सिंह यादव ने अपनी पार्टी द्वारा नई संसद की तुलना एक ताबूत से करने पर कहा कि हमारे ट्वीट में ताबूत लोकतंत्र को दफन किए जाने का प्रतिनिधित्व कर रहा है. देश इसे स्वीकार नहीं करेगा. संसद लोकतंत्र का मंदिर है और यह चर्चा करने की जगह है.
नए संसद के जरिए देश के कलंक का इतिहास लिखा जा रहा: जेडीयू
वहीं जेडीयू ने कहा कि नए संसद भवन के जरिए देश के कलंक का इतिहास लिखा जा रहा है. जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा, “नए संसद का उद्घाटन तानाशाही और देश में मोदी इतिहास लागू किया जा रहा है. नए संसद के जरिए देश के कलंक का इतिहास लिखा जा रहा है.”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने उठाए सवाल, तो बीजेपी ने दिया जवाब
इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सेंगोल की स्थापना के में दक्षिण के अधीनम संतों को बुलाए जाने पर सवाल उठाए थे. मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि सेंगोल की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्ंयत दुर्भाग्यपूर्ण है. बीजेपी सरकार को सभी धर्मगुरुओं को आमंत्रित करना चाहिए था. ऐसा न करके बीजेपी ने अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है. सपा नेता के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. सपा के ब्राह्मणवाद के आरोप हास्यास्पद हैं. इनमें अज्ञानता की बू है. ये अधीनम उन समुदायों द्वारा चलाए जाते हैं जो बीसी और ओबीसी श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं. उनके पास तमिल साहित्य का एक समृद्ध इतिहास है जो भगवान शिव की पूजा करते हैं. इस तरह की टिप्पणी करना इन पवित्र अधीमों और हिंदू धर्म की विविधता का अपमान है.
कांग्रेस ने राष्ट्रपति को नहीं बुलाए जाने पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाए जाने पर कहा कि इस पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी राष्ट्रपति को अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने नहीं दिया जा रहा है. उन्हें 2023 में नए संसद भवन के उद्घाटन की इजाज़त नहीं दी गई. इसके साथ ही जयराम ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री को संसदीय प्रक्रियाओं से नफरत है जो संसद में कम ही उपस्थित रहते हैं और कम कार्यवाहियों में भाग लेते हैं. वह प्रधानमंत्री नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे हैं.
एनसीपी ने उद्घाटन को अधूरा बताया
एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने विपक्षी दलों के शामिल नहीं होने के बावजूद संसद भवन के उद्घाटन को अधूरा बताया है. उन्होंने कहा कि विपक्ष के बिना एक नए संसद भवन का उद्घाटन करना इसे एक अधूरी घटना बनाता है. इसका मतलब है कि देश में लोकतंत्र नहीं है.
ओवैसी ने आरजेडी की तुलना को गलत बताया
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरजेडी द्वारा नए संसद भवन की ताबूत से तुलना करने को गलत बताया है. ओवैसी ने कहा कि आरजेडी संसद भवन को ताबूत क्यों कह रही है? वे कुछ और भी कह सकते थे, उन्हें यह एंगल लाने की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला नए संसद भवन का उद्घाटन करते. पुराने संसद भवन को दिल्ली फायर सर्विस से भी क्लीयरेंस नहीं था.
साभार – आजतक